दरवाज़े
पर
एक
जाती
हुई
आवाज़
लटक
रही
है एक भीड़ इन्तज़ार
में
है
अभी
शीघ्र
ही
मध्यरात्रि
के
विस्फोट
शुरू
होंगे
जो
पटरी
पर
बैठे
लोगों
के
लिये
एक
परोपकारी
आकाश
के
वरदान
की
घोषणा
करेंगे
एक
साम्राज्य
के
उत्थान
और
पतन
के
इतिहास
को
मैं
पीढि़यों
के
अपसरण
को
सन्दर्भ
में
कोई
लेबल
नहीं
दूँगा
बदलता
हुआ
भूगोल
अब
भस्मियों
की
देखभाल
स्वयं
कर
लेगा
एक
रद्दी
बटोरने
वाला
लड़का
आपको
पूरी
दास्तान
सुना
देगा
खिसकता
हुआ
चाँद
अब
बड़ा
किफायती
हो
गया
है
जो
सिर्फ
दागी
सपनों
पर
चाँदनी
बिछा
रहा
है
जैसे
हमारी
ज़मीन
के
ज़ख्
मदसंतहमक (enlarge) हों
नफरत
का
समुद्र
सामने
नंगा
पसरा
है
और
पुराने
कंकालों
को
समेट
रहा
है मैं नहीं जानता
कि
मैं
सर्वाहारी
कैसे
बन
सकता
हूँ
रजि़या
बेगम
महारानी
के
मज़ार
को
देख
कर
जिसने
मध्ययुगी
भारत
पर
अकेली
औरत
ने
राज
किया
था
सतीश वर्मा
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