उधर
पूरी
शांति
थी
बलि
के
बकरों
के
बिना
एक
एकाधिपत्य
की
बात
थी
जो
उन्माद
के
चुम्बन
की
प्रस्तावना
थी सामथ्र्य और
दुर्बलता
के
बीच
विवेक
रहता
है अब पथ बिना
पुष्पों
के
लिंग
को
पहिचान
लेगा
बाड़े
में
इस
अहाते
के
दूसरी
तरफ
दीवार
थी जहाँ बाघ एक
नन्ही
लड़की
की
अधखायी
टाँग
छोड़
गया
था एक
नग्न
मॉडल
ने
किसी
पवित्रता
को
मानने
से
इनकार
कर
दिया
था और ऊँची आवाज़
में
उड़ते
हुए
कीटों
की
बात
करने
लगी
थी
यह
बिल्कुल
बेकार
थी
सच्चाई
की
विडम्बना हर आदमी
खनन
में
अपना
हिस्सा माँग रहा था
सतीश
वर्मा