रक्तिम
माँस
की
संगमरमरी
ढलानों
के
साथ
तिरते
हुए
एक
काला
राजहंस
बहुत
व्यथित
हो
रहा
था
बन्धुआदास
और
नारीद्वेश
को
लेकर
भविष्य की
शावक
आँखों
से
निकलते
हुए
मोतियों
की
इन्तज़ार
में
रुण्डित
कोखों
का
सफेद
जामा
पहिन
कर
प्रतात्माऐं
कतार
में
खड़ी
थी
तुम
उस
नगर
की
सच्चाई
पर
विश्वास
करोगे
जो
एक
सफेद
चाँद
को
देखने
के
लिये
रात
में
घरों
की
छत
पर
नहीं
आता?
विपरीत
इसके, तुम्हें
अबूझे
गुनाहों
के
लिये
दन्डित
किया
जा
रहा
था
अब
तुम
अपना
स्मृति-लेख
स्वयं
लिखोगे
इससे
पहिले
कि
तुम्हारी
पीठ
पर
गोली
मार
दी
जाये
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