गुलाबों
से
काँटे
निकाल
दीजिये
सेक्स
पहिले
जैसा
कभी
न
होगा
युयुत्सा
को
ढक
कर
प्रपाती
चट्टान
की
तरफ
ले
आओ
पर्वत
में
दरारे
पड़ने
लगी
हैं
केसर
के
खेतों
में
चारों
तरफ
पोतावशेष
के
टुकड़े
बिखरे
हुए
थे
एक
धर्म
नोकदार
उच्छृंग
से
टकरा
कर
विस्फोटित
हो
गया
था
यह
कोई
वायुवाहित
भगवान
नहीं
था
नमक
का
जल
एक
दूषित
कथा
सुना
रहा
था
कौंधती
हुई
जाँघें
उघाड़ते
हुए
गुलाबी
तेंदुए
को
अपना
मुकाबिल
एक
भेडि़ये
में
मिल
जायेगा यह एक राजनीतिक
देयता
बन
गयी
थी
सतीश वर्मा
·
जल
के
चरणचिन्हों
पर
चलता
हुआ
पवित्र
सेक्स
क्या
आप
एक
ठोस
चाट्टान
पर
बैठ
कर
उन
तेज़
हवाओं
को
नापने
का
कष्ट
करेंगे
जिन्होंने
लम्बे
वृक्षों
को
नंगा
कर
दिया
था
सियार
बोल
रहे
थे
शेर
निकट
ही
कहीं
पर
हैं
तुम
कहते
हो
कि
अग्नि
की
साक्षी
में
कोई
भी
पाप
करना
अनैतिक
नहीं
होता
मेरे
जिस्म
पर
एक
बड़ा
रक्तिम
घाव
बन
गया
है मैं
इस
असंगत
निर्णय
को
रोक
नहीं
पाया
हूँ
सतीश वर्मा
· समलैंगिक
विवाह
के
बारे
में
सोचते
हुए
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