Pages

Sunday, August 19, 2012

दूसरी नज़र


एक धीमी गति से बहते हए नाम
ने क्या भविष्यवाणी की थी ?
एक जासूस को शहतीर से लटका कर फाँसी देने की ?
तुम्हारा चेहरा रोशन हो उठता है

दुनियाँ पालिमय सन्ताप्त का अनुवाद
छोटे छोटे दर्पणों में कर रही थी
एक बीज में विस्फोट होता है   आचार संहिता की
एक चुम्बकीय किताब को तुम्हारे चेहरे
पर फेंक कर चिपका दिया जाता है

और तुम अँधेरे में एक खूबसूरत पलायन
की कहानी को पढ़ना शुरू कर देते हो

समीप आती रता चाँद को चारों तरफ से
घेर लेती है    इस पल को एक अज्ञात डर
पकड़ लेता है और थोड़ी देर
के बाद अगाध गत्‍​र्त में डूब जाता है

तुम अनन्त अवसादों और शीर्षविहीन
सुरागों को इकट्ठा करने के लिये तमन्नाओं
को उकसा देते हो   और हम वक्त की रेत
पर रेंगते हुए सन्नाटे को अपने ड्रोन्स की
आवाज़ से तोड़ देते हैं

सतीश वर्मा

No comments:

Post a Comment