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Thursday, August 23, 2012

· बिना गियर के उतरने के बाद

एक तैरते हुए दर्द के बीच हम
बेलनाकार थैलियों में बीजाणुओं के समान
कतार में खड़े थे   आशंकाओं से घिरे हुए
कि कुछ अनर्थ होने वाला है

यह एक कमल ताल था
जल एक  मृत शाहर को कमल की पखुँडि़यों
पर लिटा कर लाया है   मैं छोटे छोटे
उत्परिवर्तनों के कारण पागल हो जाऊँगा

शव के झोले देह के अवशेषों से भरे
है   तुम्हें जैसे पूर्वानुमान हो गया था
वर्णमाला से लेकर पूरी कथा तक

अपने तरीके से मैं मृत्यु की भाषा
के प्रवाह का कूट खोलने की कोशिश
कर रहा हूँ  तुम्हारे चेहरे का एक हिस्सा
नज़रों के सामने तैर रहा है

बिखरी हुई टाँगें विषाद की अग्निशिखा
को ढूँढ रही थीं  अभी तक कोई
समाधिस्थल नहीं मिला था

सतीश वर्मा
· एक विमान दुर्घटना में एक मित्र के अवसान होने के बाद

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