स्वर माधुर्य का अभाव
एक गीत के चेहरे पर
पृष्ठ तनाव
को मरोड़ रहा था
एक विष जुड़वा काली आँखों में
उभड़ कर रेंगता है
तुम चरम समय में
अपनी कीमत बढ़ा देते हो
जो भ्रूणीय अपशिष्ट को हल्का कर देता है
बाहरी आदमी
अपनी मृत्यु का मुकाबला
पुराजनता से करता है
सतीश वर्मा
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