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Friday, September 28, 2012

· शीलॅ-नॅ-गीग


उस जन्मदाता कुण्ड का इन्तज़ार
करते हुए जो जंजीरों में जकड़े
एक स्वप्न अनुवाधक को निक्षेपित करेगा

चाँद के डँक मारने पर सूर्य
पर अब पकड़ ढीली पड़ती जा रही थी
ग्रहिकाओं ने फिर हमले शुरू कर दिये थे

भगोडा बाघ अब स्वजातिभक्षी
बन गया था, एक नयी पलायन
विधि का अभ्यास करते हुए
शिकार के बाद धुँए का सर्पिलाकार
बादल उठता है  तुम अपनी नज़रें
पीछे फेंकते हो

कोई ट्यूलिपों की पीठ में एक चाकू
घोंपने वाला है   मृत्यु के रँगों
को अपने घर ले जाओ

आज उत्सव, अनुष्ठान शुरू होंगे
एक बबूले की सन्तानें अब
सड़क पर निकल आई हैं

सतीश वर्मा

·ब्रिटेन और आयरलैन्ड में मिलने वाली मध्युगीन एक नग्न नारी की मूर्ति जिसके हाथ जननाँगों को उद्भासित करते हुए हैं और टाँगें खुली चौड़ी दिखाई देती हैं

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