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Monday, September 3, 2012

· अंधी गलियाँ


एक जायमान चीख
एक अन्तरिक्ष के हस्ताक्षर
की माँग रख रही थी
मैं विश्वासघात की ज़मीन पर पँजा पँजा चलते हुए

अब आत्म-ध्वंस
की शुरूआत
कर रहा हूँ
आकाश का आधिपत्य अब दाँव पर था

वृक्ष जल रहे थे
और पक्षी उस
मीमांसात्मक हिंसा
की नग्न यथार्थता को समझने की कोशिश कर रहे थे

इस गहरी घड़ी में,
मेरे पास शब्द नहीं हैं
कि मैं पलकों, फूलों
बादल और खून का उन्नयन कर सकूँ

सतीश वर्मा
· चीन के सक्रिय प्रतिभागी नेत्रहीन चेनग्वाँग चेंग के लिये

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