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Sunday, September 12, 2010

*खरे दर्पण

एक पुष्पगुच्छ का सिर काटने के लिये
तीन गोलियों एक बुदबुदाती हुई छाती में चली गई
हत्यारे तब आये थे जब वो अकेली थी पंखों पर क्षत-विक्षत
चिन्ह लेकर  मौन की आवाज़ों में उड़ गई इस मधुर आवाज़
ने रात को बिना घूंघट के चाँद को चूम लिया था नीली
पहाड़ियों के लिये यह काली रात थी उन्होंने सफेद
जूही के गुच्छे की हत्या कर दी थी मेरे प्यार तुम विचलित
क्यों हो वो तो नारंगी पहियों पर बैठ कर सूरज की तरफ
चली गई काला समुद्र पुष्पहारों को किनारे पर वापिस
फेंक रहा है ताकि मछलियों और लहरों के कौमार्य की रक्षा
हो सके एक खून बहाते भगवान ने पृथ्वी को अपनी
पुत्री मानने से इनकार कर दिया है

*टी वी और मंच पर सुरीले गीत-गाने के लिये आयमान उदास को उसके दो भाइयों ने कत्ल कर दिया था
सतीश वर्मा

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