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Friday, September 10, 2010

भविष्य के चिन्ह

तुम्हारे रिसते खून के पीछे आते भेड़िये
को टालने के  लिये
तुम उत्पीड़ित होकर
मलबे को छानते हो

एक डर की परछाई
पीले गुनाह के अन्यत्व पर आबद्ध
धमकाती है, सफेद खौफ का
एक आत्महत्या नोट
अब तुम अपने कम्पनों से बाहर आ गये हो 
मृतजात, अनिश्चित काल तक

तुम्हारी गर्दन के चारों तरफ लिपटी हुई
नाभिनाल, गला घोंट रही है, भींच रही है
प्रश्नकर्ता को आघात देने के बाद
मैं गहरे पानी में पैठ गया हूँ

अब तुम्हारा शरीर अविश्वास और आतंक की नाव बन गया है
बीजों और पक्षियों के साथ सहयोग
करके सच्चाई के पार, मैं अपनी कला
पर खेद जताने लगता हूँ

सतीश वर्मा

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